माननीयों की आय पर आयोग की नजर

देश के दागी सांसद और विधायक अदालतों में वर्षों से लंबित हत्या, बलात्कार, हत्या के प्रयास, यौन शोषण, भ्रष्टाचार और ऐसे ही तमाम संगीन अपराधों से संबंधित मकदमों को त्वरित अदालतों को सौंपे जाने के झटके से अभी उबर भी नहीं पाये हैं कि अब निर्वाचन आयोग ने चुनाव में सभी प्रत्याशियों के लिये नामांकन पत्र दाखिल करते समय पिछले पांच साल की संपत्ति का विवरण देना अनिवार्य कर दिया है। निर्वाचन आयोग का यह कदम ऐसे सांसदों और विधायकों के लिये परेशानी का सबब बन सकता है, जिन्होंने अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान बेशुमार दौलत अर्जित की है उन्हें अब अपना, अपने जीवन साथी और परिवार के आश्रित सदस्यों की संपत्ति का विवरण भी देना होगा निश्चित ही निर्वाचन आयोग का यह कदम गलत तरीके से धन अर्जित करने वालों को चनावों में प्रत्याशी . बनने से हतोत्साहित करेगा। निर्वाचन आयोग ने नामांकन पत्र के साथ संलग्न होने वाले फार्म 26 ऐसा करते समय सरकार और निर्वाचन आयोग ने उच्चतम न्यायालय के फरवरी, 2018 के एक फैसले को ध्यान में रखा है नामांकन पत्र के साथ दाखिल होने वाले फार्म 26 के नये प्रारूप में अब - - -- प्रत्येक प्रत्याशी को नामांकन SURE BANK ORL पत्र के साथ अपनी, अपने जीवन साथी और परिवार के आश्रित सदस्यों की पांच साल की चल और अचल संपत्ति का विवरण देना होगा। यही नहीं, 1000000 इस हलफनामे में प्रत्याशियों के लिये पैन नंबर, अंतिम आयकर विवरणी दाखल करन का तिाथ और पिछले पांच साल के विवरण में विदेश में स्थित संपत्ति ही नहीं बल्कि संयुक्त स्वामित्व वाली सारी संपत्तियों का विवरण देना अनिवार्य हो गया है। राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 33 और धारा 169 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके निर्वाचनों के संचालन संबंधी नियमों में संशोधन करते हुए नामांकन पत्र के साथ हलफनामे के रूप में दाखिल होने वाले फार्म 26 के प्रारूप में संशोधन किया गया है। फार्म 26 के प्रारूप में संशोधन के बाद प्रत्याशियों द्वारा हलफनामे में दिये गये पांच साल की संपत्ति के विवरण पर आयकर विभाग की भी पैनी नजर रहेगी ।लोकसभा और कुछ राज्यों की विधानसभा के चुनाव अगले कुछ महीनों में होने वाले हैं। ऐसी स्थिति में आयकर विभाग के वाले हैं। ऐसी स्थिति में आयकर विभाग के लिये प्रत्याशियों, उनके जीवन साथी और आश्रितों य प्रत्याशियो, उनके जीवन साथी और आश्रितो की संपत्ति में हुई वृद्धि का पता लगाना अधिक मश्किल नहीं होगा क्योंकि अधिकतर नेताओं द्वारा 2014 में अपनी संपत्ति के बारे में हलफनामे पर की गयी घोषणा आयोग के रिकार्ड में उपलब्ध है।जिन प्रत्याशियों की चल-अचल संपत्ति के हुई वृद्धि के बारे में किसी प्रकार का संदेह हुआ तो यह उनके लिये निकट भविष्य में परेशानी का कारण बन सकता है। इसकी एक वजह यह भी है कि आयकर विभाग ऐसे प्रत्याशियों से उनकी संपत्ति में SPECIMEN हुए इजाफे के स्रोत के बारे में तहकीकात करेगा और संतुष्ट नहीं होने पर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत कार्रवाई का रास्ता उपलब्ध रहेगा। संयोग से पिछले सप्ताह ही गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्मस ने 2004 से 2019 तक लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सांसदों और विधायकों कावत्ताय आर आपरााधकाववरणा कआधार पर एक विश्लेषण रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सांसद और विधायक बनने के बाद ऐसे नेताओं की संपत्ति में लगातार इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि पिछले एक दशक में राजनेताओं की संपत्ति में करीब दस गुणा वृद्धि हुई है। उनकी संपत्ति में बेहिसाब इजाफा होने पर उच्चतम न्यायालय भी चिंता व्यक्त करता रहा है शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने 16 फरवरी, 2018 को गैर सरकारी संगठन 'लोक प्रहरी' की याचिका पर सुनाये गये फैसले में स्पष्ट रूप से कहा था कि फार्म 26 में उपलब्ध कराया जाने वाली जानकारी मतदाताआ क लिये प्रासंगिक है और इसके आधार पर ही वे किसी प्रत्याशी को मत देने या नहीं देने के बारे में फैसला कर सकते हैं। शीर्ष अदालत के में फैसला कर सकते हैशीर्ष अदालत क हस्तक्षेप के बाद सरकार और निर्वाचन आयोग हस्तक्षेप के बाद सरकार और निर्वाचन आयोग का यह कदम लोकतांत्रिक व्यवस्था में अनुचित पते तरीके से धन अर्जित करने का प्रवृत्ति पर अकश लगाने में मददगार होगा। उम्मीद का जाना चाहिए कि पिछले पांच साल के दौरान बेहिसाब संपत्ति अर्जित करने वाले सांसदों और संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो जांच एजेन्सियां उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून और दूसरे दंडनीय कानूनों के तहत उचित कार्रवाई करेंगी।