पहरा कोरोना संकट के दौर में आर्थिक संकट से गुजर रही भारतीय कंपनियों के टेकओवर की मंशा को भांपते हुए भारत सरकार ने एफडीआई नियमों में संशोधन किया है। अब भारत की सीमा से लगता कोई पड़ोसी देश बिना सरकार की अनुमति के किसी भी भारतीय कंपनी में सीधे निवेश के जरिये अधिग्रहण नहीं कर पायेगा। वास्तव में देश में जारी लॉकडाउन के चलते तमाम भारतीय कंपनियों के शेयरों की कीमतें काफी हद तक घट गई हैं। बाजार के जानकार आशंका जता रहे थे कि चीन स्वयं अथवा किसी अन्य पड़ोसी देश के माध्यम से भारतीय कंपनियों को खरीदने की कोशिश कर सकता है। यानी भारतीय आर्थिकी में चीन की सीधी दखल बढ़ने की आशंका बलवती हो गई थी, जिसे देखते हुए सरकार को एफडीआई कानून में संशोधन का सहारा लेना पड़ा। दरअसल, पूरी दुनिया में कोरोना संकट से उपजे आर्थिक संकट को अवसर में बदलने की कोशिश बड़े देशों द्वारा की जा रही है। हकीकत यह कि लॉकडाउन के चलते ठप हई अर्थव्यवस्थाओं में विभिन्न कंपनियों की कीमत आधे से कम रह गई हैं। हालांकि, यह उन कंपनियों का वास्तविक मूल्य नहीं है मगर हालफिलहाल बाजार की स्थिति देखते हुए उनकी कीमत आंकी जा रही है। मौकापरस्त ताकतें इन्हें हासिल करने की कोशिश में हैं। दरअसल, ऐसी कोशिश परी दुनिया में हो रही है। बड़ी पूंजी वाले देश व कंपनियां इस खेल में शामिल हैं। यही वजह है कि हालात से प्रभावित कंपनियों के प्रबंधन हासिल करने की तिकड़मों के बीच जर्मनी, स्पेन, इटली व आस्ट्रेलिया आदि देश भी अपनी कंपनियों के संरक्षण के लिए ऐसे कदम उठा चुके हैं। बाकी देश ऐसी कवायद में जुटे हैं। इस अवसरवादी खरीद-फरोख्त के माध्यम से प्रतिष्ठित कंपनियों में प्रबंधन का नियंत्रण हासिल करने की तिकड़मों पर अंकुश लगाने के भारत सरकार के प्रयासों का भारतीय कारोबारियों ने भी स्वागत किया है। हालांकि, ये अब तक स्वतंत्र विदेशी निवेश के पक्षधर रहे हैं। दरअसल, अब तक पाक व बांग्लादेश को ही सीधे निवेश से रोकने के प्रावधान थे. मगर चीन को खतरा मानते हए अब इसमें शामिल किया गया है। निसंदेह चीनी निवेश की गति खासी तीव्र है और उसने पिछले एक साल में भारत में अपना निवेश काफी बढ़ाया है। यही वजह है कि जब अधिक खरीद ताकत होने के कारण चीन दूसरे देशों की कंपनियों की खरीदफरोख्त में लगा है तो भारत की चिंता स्वाभाविक है। निस्संदेह नोटिफिकेशन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर अंकुश लगाते हुए स्वदेशी कंपनियों को सुरक्षा प्रदान करने की कोशिश हुई है। अब भारत की सीमा से लगे देश पाक, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान व नेपाल भी नये संशोधन के दायरे में आयेंगे। इसके साथ ही भारत में होने वाले किसी भी विदेशी निवेश के लाभार्थी यदि इन देशों के नागरिक हुए तो भी केंद्र सरकार से अनुमति लेनी जरूरी होगी ताकि इस दौर में ऑटोमैटिक रूट से किसी भारतीय कंपनी का टेकओवर संभव न हो सके।
चीनी चतुराई पर पहरा